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नन्हीं मुस्कान

आकांक्षा मधुर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :48
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16113
आईएसबीएन :978-1-61301-723-4

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ये पत्र एक शिक्षिका द्वारा अपने छात्रों को सम्बोधित करते हुए इस भाव से लिखे गए हैं कि उनमें बसा हुआ प्रेम पल्लवित हो, कुसुमित हो और बचा रहे

 

 

 


बच्चे ईश्वर का स्वरूप माने जाते हैं। छोटी-छोटी बातों में ही या अपनी बचपने से भरी हरकतों में ही प्रायः वे प्रेम, प्रसन्नता और सद्भावना का सन्देश दे जाते हैं।

बच्चों को सम्बोधित कर लिखे गए ये पत्र ऐसी ही छोटी-छोटी, प्रेम से ओत-प्रोत बातों और घटनाओं पर आधारित हैं। बचपन की यादें सबसे सुन्दर होती हैं। इन पत्रों में आप कहीं स्वयं को पाएँगे तो कहीं अपने आस-पास मौजूद बच्चों को।

ये पत्र एक शिक्षिका द्वारा अपने छात्रों को सम्बोधित करते हुए इस भाव से लिखे गए हैं कि उनमें बसा हुआ प्रेम पल्लवित हो, कुसुमित हो और बचा रहे।

 

 

 

 


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    अनुक्रम

  1. समर्पण
  2. आभार
  3. पुरोवाक्
  4. अनुक्रमणिका

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